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इस वार लकनों से मैं निकलने वाला था बस एक दू दिन में
इस दोरान मैंने सोचा कि मंगला मासी के यहां जाऊं वहां नहीं गया तो क्या फाइदा
शानती नानी के यहां तो मेरा मन ही नहीं लग रहा था
और अपने घर में तो वैसे भी नहीं दो दिन ही बाकी हैं
मैंने कॉल लगाया मंगला मासी को